महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी से आरंभ होकर सोलह दिनों तक किया जाता है। यह व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
Table of contents
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
संकल्प मंत्र
व्रत आरंभ करने से पहले निम्न मंत्र का पाठ करें:
करिष्येऽहं महालक्ष्मी व्रत से स्वत्परायणा।
तविघ्नेन में मातु समाप्ति स्वत्प्रसादतः।।
अर्थ: हे देवी! मैं आपकी सेवा में तत्पर होकर इस व्रत का पालन करूँगी। आपकी कृपा से यह व्रत बिना विघ्न के पूरा हो।
डोरे का महत्त्व और पूजा विधि
- सोलह तार का डोरा लें और उसमें सोलह गांठ लगाएं।
- हल्दी घिसकर डोरे को रंग लें।
- इस डोरे को कलाई में बाँध लें।
यह डोरा देवी लक्ष्मी के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
व्रत के अंतिम दिन की पूजा विधि
- मंडप तैयार करें: वस्त्र से मंडप बनाकर उसमें लक्ष्मीजी की प्रतिमा स्थापित करें।
- पंचामृत स्नान: लक्ष्मी प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से स्नान कराएं।
- सोलह प्रकार से पूजा: चन्दन, अक्षत, पुष्प, दुर्वा, लाल सूत, नारियल, सुपारी आदि का उपयोग करें।
- तारागण अर्घ्य: रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करें।
हवन और भोग
- हवन सामग्री में खीर की आहुति दें।
- चार ब्राह्मण और सोलह ब्राह्मणियों को भोजन कराएं।
- दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
मंत्र पाठ
पूजा के दौरान निम्न मंत्र पढ़ें:
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा।
व्रतेनाप्नेन सन्तुष्टा भवर्तोद्वापुबल्लभा।।
अर्थ: क्षीर सागर से प्रकट हुई, चंद्रमा की बहन और विष्णु की प्रिय महालक्ष्मी, इस व्रत से प्रसन्न हों।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
- सुख-समृद्धि: यह व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा से परिवार में सुख और धन की वृद्धि करता है।
- धार्मिक लाभ: इस व्रत से व्यक्ति को इस लोक और परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: व्रत से मनुष्य में धैर्य, भक्ति, और आत्मिक शुद्धि का विकास होता है।
FAQs
1. महालक्ष्मी व्रत कब आरंभ होता है?
महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी से आरंभ होकर सोलह दिनों तक चलता है।
2. व्रत में डोरे का क्या महत्व है?
डोरा देवी लक्ष्मी के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इसे कलाई में बाँधने से देवी का आशीर्वाद मिलता है।
3. व्रत का समापन कैसे किया जाता है?
व्रत के अंतिम दिन मंडप सजाकर लक्ष्मीजी की पूजा करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, और हवन करें।
4. क्या महालक्ष्मी व्रत सभी कर सकते हैं?
यह व्रत मुख्यतः स्त्रियाँ करती हैं, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं।
निष्कर्ष
महालक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और परिवार की सुख-समृद्धि बढ़ाने का सशक्त माध्यम है। इसे पूरे श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करें। यदि यह जानकारी उपयोगी लगी, तो अपने अनुभव साझा करें और इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें।
Discover more from PoojaMarg.Com
Subscribe to get the latest posts sent to your email.