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पूजा विधियाँ, आरती मंत्र, व्रत त्यौहार

परिवर्तनी एकादशी
व्रत / त्यौहार

क्या है परिवर्तनी एकादशी का महत्व और इसकी पूजा विधि?

पद्मा एकादशी, जिसे परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेष शय्या पर शयन करते हुए करवट बदलते हैं, इसलिए इसे करवटनी एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत उच्च है।


परिवर्तनी एकादशी की पूजा विधि

  1. व्रत का संकल्प लें:
    व्रत आरंभ करने से पहले भगवान विष्णु और महालक्ष्मीजी का ध्यान करते हुए संकल्प लें।
  2. स्नान और पूजा करें:
    प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
  3. पूजा सामग्री:
    • चंदन, फूल, धूप, दीप, तुलसी दल, और पंचामृत
    • भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें।
  4. मंत्र पाठ और भजन:
    विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भक्ति गीतों का गान करें।
  5. लक्ष्मी पूजन:
    इस दिन लक्ष्मी पूजन करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। देवी लक्ष्मी को कमल का फूल और खीर का भोग अर्पित करें।

परिवर्तनी एकादशी की पौराणिक कथा

राजा बलि और भगवान वामन की कथा

त्रेता युग में भक्त प्रहलाद के पौत्र राजा बलि ने अपने भुजबल से देवताओं को हराकर स्वर्ग पर विजय प्राप्त कर ली थी। देवताओं की दुर्दशा देखकर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।

भगवान वामन ने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। भगवान वामन ने विराट रूप धारण कर:

  • पहले पग में पृथ्वी
  • दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया।
    तीसरा पग रखने के लिए स्थान मांगने पर बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया।

भगवान ने बलि को पाताल लोक का राजा बनाया और कहा कि यदि वह विधि अनुसार पद्मा एकादशी का व्रत करेगा, तो भगवान उसकी कुटिया के द्वार पर निवास करेंगे। राजा बलि ने व्रत किया, और तब से भगवान विष्णु एक प्रतिमा के रूप में पाताल लोक में और क्षीर सागर में निवास करने लगे।


परिवर्तनी एकादशी का महत्व

  1. भगवान विष्णु का पूजन:
    इस दिन भगवान विष्णु का करवट बदलना भक्तों के लिए विशेष दिन माना जाता है।
  2. लक्ष्मी पूजन का लाभ:
    देवी लक्ष्मी के पूजन से धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  3. राजा बलि से जुड़ा आशीर्वाद:
    पद्मा एकादशी के व्रत से भगवान विष्णु का सान्निध्य प्राप्त होता है।

FAQs

1. परिवर्तनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

भगवान विष्णु के शयन के दौरान करवट बदलने और राजा बलि के पाताल लोक में वास से जुड़े घटनाक्रम के कारण इसे मनाया जाता है।

2. क्या परिवर्तनी एकादशी का व्रत सभी कर सकते हैं?

हां, यह व्रत सभी भक्तों के लिए है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष।

3. क्या इस दिन लक्ष्मी पूजन आवश्यक है?

जी हां, लक्ष्मी पूजन इस दिन विशेष फलदायी माना गया है।

4. व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?

व्रत में फलाहार या केवल जल ग्रहण करने का प्रावधान है।


निष्कर्ष

परिवर्तनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल भक्ति भाव बढ़ाता है, बल्कि सुख और समृद्धि का भी साधन है। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे साझा करें और अपने अनुभव कमेंट में बताएं।


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