गोवत्स द्वादशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। यह व्रत गाय और बछड़े की पूजा करने और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है। इस दिन व्रत रखने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
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गोवत्स द्वादशी का महत्व
- गाय की महत्ता:
गाय को हिंदू धर्म में माता का दर्जा दिया गया है। यह पर्व गाय और बछड़े की देखभाल और उनके महत्व को दर्शाता है। - धार्मिक प्रभाव:
गोवत्स द्वादशी व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और कल्याण आता है। यह व्रत परिवार की खुशहाली और पवित्रता का प्रतीक है। - पाप नाशक व्रत:
इस दिन गाय-बछड़े की पूजा करने से पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
गोवत्स द्वादशी पूजा विधि-विधान
- सुबह स्नान और तैयारी:
प्रातः काल स्नानादि करके गाय और बछड़े की पूजा का संकल्प लें। - गाय और बछड़े का पूजन:
गाय और बछड़े को ताजे फूलों, हल्दी और सिंदूर से सजाएं। - गेहूं से बने पदार्थ चढ़ाएं:
पूजा के दौरान गेहूं से बने पकवान चढ़ाएं। - व्रत के नियम:
इस दिन गाय का दूध और गेहूं से बने पदार्थ का सेवन वर्जित है। कटे हुए फल भी नहीं खाने चाहिए। - कथा श्रवण:
गोवत्स द्वादशी की कथा सुनें और ब्राह्मणों को फल व दक्षिणा अर्पित करें।
गोवत्स द्वादशी की कथा
बहुत समय पहले सुवर्णपुर नगर में देवदानी नामक राजा का राज्य था। उनकी दो रानियाँ थीं: सीता और गीता। राजा ने एक भैंस और एक गाय-बछड़ा पाल रखा था। सीता भैंस की देखभाल करती थीं, जबकि गीता गाय और बछड़े की सेवा करती थीं।
गीता बछड़े को पुत्र की तरह प्यार करती थीं। एक दिन भैंस ने चुगली की कि गीता उसे ईर्ष्या करती हैं। यह सुनकर सीता ने गाय के बछड़े को मार दिया और उसे गेहूं के ढेर में छिपा दिया।
जब राजा भोजन करने बैठे, तो चारों ओर मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। भोजन की थाली में मल-मूत्र आ गया। राजा ने परेशान होकर ईश्वर से प्रार्थना की। तब आकाशवाणी हुई कि सीता ने गाय के बछड़े को मार दिया है।
आदेश दिया गया कि राजा भैंस को राज्य से बाहर कर दें और गोवत्स द्वादशी का व्रत करें। राजा ने ऐसा ही किया। व्रत के प्रभाव से बछड़ा गेहूं के ढेर से जीवित हो उठा।
तब से यह व्रत प्रचलित हुआ और इसे गोवत्स द्वादशी कहा जाने लगा।
गोवत्स द्वादशी व्रत के लाभ
- पवित्रता और सकारात्मकता का अनुभव।
- पारिवारिक सुख-शांति।
- जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति।
- पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि।
FAQs
- गोवत्स द्वादशी व्रत क्यों किया जाता है?
गाय और बछड़े की पूजा के माध्यम से सुख-समृद्धि और पवित्रता प्राप्त करने के लिए। - क्या इस दिन दूध का सेवन कर सकते हैं?
नहीं, इस दिन गाय का दूध और गेहूं से बने पदार्थों का सेवन वर्जित है। - क्या यह व्रत सभी कर सकते हैं?
हाँ, यह व्रत सभी वर्ग और आयु के लोग कर सकते हैं। - गोवत्स द्वादशी की कथा का क्या महत्व है?
यह कथा सिखाती है कि गोमाता और उनके बछड़े की देखभाल धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है।