तारा भोजन व्रत कार्तिक पूर्णिमा से एक माह तक किया जाता है। जानें तारों को अर्घ्य देने की विधि, उजमन का महत्व और पूजा विधि।
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व्रत की विधि
- रात्रि में तारा अर्घ्य:
- प्रत्येक रात्रि तारों को जल अर्घ्य अर्पित करें।
- अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें।
- उजमन का आयोजन (अंतिम दिन):
- व्रत के अंतिम दिन उजमन करें।
- पाँच ब्राह्मणों को पाँच सीधा (खाद्य सामग्री) और पाँच सुराही भेंट करें।
- अपनी सासुजी को एक साड़ी, ब्लाउज और उस पर रखा एक रुपया पैर छूकर दें।
तारा भोजन व्रत की पहली कथा
किसी नगर में एक साहूकार था। उसकी बहू तारा भोजन करती थी। एक दिन बहू ने अपनी सास से कहा, “माँजी, मेरी कहानी सुन लीजिए।” सास ने मना कर दिया, “मुझे पूजा करनी है।” बहू ने अपनी जेठानी से कहा, लेकिन उसने भी मना किया, “मुझे खाना बनाना है।” देवरानी ने बच्चों का बहाना बनाया और ननद ने ससुराल जाने की तैयारी का हवाला दिया।
बहू राजा के पास गई, पर उसने व्यापार की व्यस्तता बताई। यह देखकर भगवान ने स्वर्ग से विमान भेजा। विमान देखकर सास, जेठानी, देवरानी, ननद और राजा सभी साथ चलने को तैयार हुए। लेकिन बहू ने सभी को उनके काम याद दिलाकर मना कर दिया। पड़ोसन ने साथ चलने की इच्छा जताई, तो बहू ने कहा, “तुमने मेरी कहानी सुनी है, इसलिए तुम चल सकती हो।”
विमान में जाते समय बहू को घमंड हो गया कि उसने व्रत किया, जबकि पड़ोसन ने केवल कहानी सुनी। यह सोचते ही भगवान ने बहू को विमान से गिरा दिया। बहू ने पूछा, “मेरा अपराध क्या है?” भगवान ने कहा, “तुझे अभिमान हो गया है। अब तीन साल तक तारा भोजन व्रत कर, तभी स्वर्ग मिलेगा।”
तारा भोजन व्रत की दूसरी कथा
एक राजा की बेटी तारा भोजन करती थी। उसने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मुझे लाखों तारे बनवाइए, मैं दान करूंगी।” राजा ने सुनार को बुलाकर नौ लाख तारे बनाने को कहा। सुनार परेशान हुआ, लेकिन उसकी पत्नी ने समझाया, “गोल पतरे काटकर कलियाँ बना दो।”
सुनार ने तारे बनाए और राजा की बेटी ने बड़े दान किए। भगवान का सिंहासन डोल उठा। भगवान ने दूतों से कहा, “उसे स्वर्ग बुलाओ।” बेटी ने कहा, “मैं सबको साथ ले जाऊँगी।” भगवान ने बड़ा विमान भेजा। बेटी सबको लेकर चल पड़ी।
रास्ते में उसे घमंड हो गया कि उसके व्रत से ही सबको स्वर्ग मिल रहा है। दूतों ने उसे विमान से उतार दिया। भगवान ने पूछा, “वह कहाँ है?” दूतों ने कहा, “उसे घमंड हो गया था।” भगवान ने कहा, “उसे वापस लाओ।”
लड़की ने सात बार क्षमा माँगी, तब भगवान ने उसे क्षमा कर स्वर्ग का वास दिया।
कथा का संदेश
जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विनम्रता से तारा भोजन व्रत करता है और दूसरों को कहानी सुनाता है, उसे भगवान स्वर्ग का आशीर्वाद देते हैं। घमंड करने पर भी भगवान क्षमा कर देते हैं यदि सच्चे मन से क्षमा माँगी जाए।
व्रत का महत्व
- पारिवारिक सुख-शांति: यह व्रत परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
- सास-बहू संबंध मजबूत: उजमन में सासुजी को भेंट देकर सम्मान प्रकट किया जाता है, जिससे संबंधों में मधुरता आती है।
- धार्मिक पुण्य: तारों को अर्घ्य देने से चंद्र-ताराग्रहों का दोष शांति पाता है।
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