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पूजा विधियाँ, आरती मंत्र, व्रत त्यौहार

श्रावण के सोमवार व्रत
व्रत / त्यौहार

श्रावण के सोमवार व्रत: पूजा विधि, महत्व और 16 सोमवार की कथा

श्रावण मास, भगवान शिव को समर्पित पवित्र समय है। इस मास के प्रत्येक सोमवार को श्रावण सोमवार व्रत रखने का विधान है। यह व्रत श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की आराधना का उत्तम माध्यम है।


शिवजी के व्रत की पूजा विधि

पूजन सामग्री:

  • जल, दूध, दही, चीनी, घी, मधु
  • पंचामृत, चंदन, रोली, चावल
  • फूल, बेलपत्र, धतूरा, पान-सुपारी
  • कमल गट्टा, लौंग, इलायची
  • धूप-दीप, वस्त्र, यज्ञोपवीत

व्रत विधि:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  4. भगवान शिव का अभिषेक जल, दूध, दही, घी, और शहद से करें।
  5. पंचामृत और बेलपत्र अर्पित करें।
  6. धूप और दीप जलाकर आरती करें।
  7. पूजा के बाद दिन में केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  8. श्रावण मास की कथा सुनें या पढ़ें।

श्रावण महीने का महत्व

श्रावण मास को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में भगवान शिव कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं।

  • आध्यात्मिक लाभ: इस व्रत को करने से मन की शांति, आत्मिक विकास और शिवजी की कृपा प्राप्त होती है।
  • धार्मिक लाभ: व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भौतिक लाभ: इस व्रत से धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।

सावन के सोमवार की कथा

शिवजी और माता पार्वती का चौसर खेलना

मृत्युलोक पर भ्रमण करते हुए शिवजी और माता पार्वती विदर्भ देश के अमरावती नगर पहुंचे। नगर के सुंदर शिव मंदिर में उन्होंने रहना आरंभ किया। एक दिन माता पार्वती ने शिवजी को चौसर खेलने का प्रस्ताव दिया। खेल के दौरान मंदिर का पुजारी पूजा के लिए आया। पार्वतीजी ने उससे पूछा कि कौन जीतेगा। पुजारी, जो शिवजी का भक्त था, ने कहा, “महादेवजी जीतेंगे।”

चौसर का खेल खत्म हुआ, और माता पार्वती जीत गईं। क्रोधित होकर उन्होंने पुजारी को शाप दिया, जिससे उसे कोढ़ हो गया।

पुजारी की मुक्ति का उपाय

वर्षों तक कोढ़ से पीड़ित रहने के बाद, एक अप्सरा ने पुजारी को सोलह सोमवार व्रत करने का सुझाव दिया। व्रत की विधि इस प्रकार थी:

  • सोमवार को स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनना।
  • आधा किलो आटे से पंजीरी बनाना और तीन भागों में बांटना।
  • प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा कर एक भाग प्रसाद रूप में बांटना।
  • सोलह सोमवार तक इसी विधि से व्रत करना।
  • 17वें सोमवार को आटे से चूरमा बनाकर शिवजी को अर्पित करना।

पुजारी ने विधिपूर्वक व्रत किया और कोढ़ से मुक्त हो गया।


व्रत की महिमा का प्रचार

माता पार्वती का अनुभव

शिवजी और पार्वतीजी जब पुजारी को स्वस्थ देखकर कारण पूछने आए, तो पुजारी ने व्रत की महिमा बताई। माता पार्वती ने भी व्रत किया, जिससे उनका पुत्र कार्तिकेय वापस घर लौट आया।

कार्तिकेय का अनुभव

कार्तिकेय ने अपने मित्र को वापस लाने के लिए व्रत किया। 17वें सोमवार पर उनका मित्र विदेश से लौट आया।


राजकुमारी और ब्राह्मण का विवाह

एक ब्राह्मण ने व्रत किया और राजा की पुत्री से विवाह का भाग्य पाया। राजा ने शर्त रखी थी कि जिस राजकुमार के गले में हथिनी वरमाला डालेगी, वही वर बनेगा। हथिनी ने ब्राह्मण को वर चुना।

राजकुमारी की कठिनाई

विवाह के बाद, राजकुमारी ने व्रत की महिमा जानकर पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत किया। लेकिन बाद में एक अनहोनी घटना के कारण ब्राह्मण पुत्र ने उसे महल से बाहर कर दिया।

राजकुमारी का संघर्ष

महल से बाहर निकली राजकुमारी जहां भी जाती, दुर्भाग्य उसके साथ होता। अंततः वह एक पुजारी के घर पहुंची। पुजारी ने उसे सोलह सोमवार व्रत का सुझाव दिया।


व्रत की शक्ति

राजकुमारी ने सोलह सोमवार व्रत किया। 17वें सोमवार पर ब्राह्मण पुत्र को अपनी पत्नी की याद आई। उसने उसे खोजा और अपने महल में वापस ले आया।


इसे भी पढ़े

FAQs

1. श्रावण सोमवार व्रत का क्या महत्व है?
श्रावण सोमवार व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मनोकामना पूर्ण करने के लिए किया जाता है।

2. क्या इस व्रत में दिनभर उपवास रखना आवश्यक है?
हाँ, इस व्रत में दिनभर उपवास रखने का नियम है। भक्त शाम को फलाहार या सात्विक भोजन कर सकते हैं।

3. क्या श्रावण सोमवार व्रत केवल महिलाओं के लिए है?
नहीं, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।

4. बेलपत्र का क्या महत्व है?
बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे उनकी पूजा में अर्पित करने से विशेष पुण्य मिलता है।

5. क्या व्रत के दौरान कोई विशेष कथा पढ़नी चाहिए?
हाँ, श्रावण मास की महिमा और शिवजी की कथाएं पढ़ने या सुनने का विधान है।


निष्कर्ष

श्रावण सोमवार व्रत भगवान शिव की उपासना का एक विशेष पर्व है। यह व्रत श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का प्रतीक है। यदि आप इस व्रत को सही विधि से करते हैं, तो शिवजी की कृपा से आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं।

क्या आप भी इस श्रावण में भगवान शिव के व्रत करने वाले हैं? अपनी राय और अनुभव नीचे साझा करें। अगर यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें।


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