चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यह पर्व ‘राम नवमी’ के नाम से प्रसिद्ध है और इसे पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
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राम नवमी का महत्व
भगवान श्रीराम को सत्य, धर्म और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। उनका जीवन आदर्श मानव जीवन का उदाहरण है। इस दिन उनकी पूजा करके भक्त अपने जीवन को प्रेरणा और सकारात्मकता से भर सकते हैं।
पूजा विधि
- श्रीराम की पूजा: इस दिन भगवान श्रीराम और रामायण की पूजा करें।
- आरती और भोग: रामचन्द्र जी की आरती उतारें और उन्हें भोग लगाएं।
- वसना का विधान: राम नवमी के दिन वसना (धोती, साड़ी या वस्त्र) दान करने की परंपरा है। इसे पूजा के बाद समर्पित किया जाता है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद सभी भक्त प्रसाद ग्रहण करें।
FAQs
1. राम नवमी क्यों मनाई जाती है?
यह पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
2. राम नवमी पर कौन-कौन से कर्मकांड किए जाते हैं?
श्रीराम और रामायण की पूजा, आरती, भोग और वस्त्र दान का विधान है।
3. क्या राम नवमी पर वसना का दान आवश्यक है?
हाँ, वसना का दान शुभ माना जाता है। इसे पूजा के बाद किया जाता है।
4. राम नवमी पर कौन से विशेष भोग लगाए जाते हैं?
भगवान राम को प्रसाद के रूप में फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाया जाता है।
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