पुत्रदा एकादशी 2025 में पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह व्रत संतान प्राप्ति और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।
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पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशहाली आती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती के समस्त पापों का नाश होता है।
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
परंपरागत पूजा विधि:
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- ब्राह्मणों और गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
- दिनभर उपवास करें और रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
भद्रावती नगरी में सुकेतु नामक राजा अपनी धर्मपत्नी शैव्या के साथ राज्य करते थे। राजा और रानी धर्मात्मा और दानशील थे, लेकिन संतानहीन होने के कारण अत्यंत दुखी थे। एक दिन उन्होंने राज्य का भार मंत्रियों पर छोड़कर वन गमन कर लिया और आत्महत्या करने का विचार किया। परंतु, उन्हें ध्यान आया कि आत्महत्या सबसे बड़ा पाप है। इसी दुविधा में वे मुनियों के आश्रम पहुंचे।
मुनियों ने योगबल से उनके दुःख का कारण जान लिया और उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा-रानी ने श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन किया। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।
FAQs
पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है?
पुत्रदा एकादशी व्रत संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि के लिए किया जाता है।
पुत्रदा एकादशी साल में कितनी बार आती है?
पुत्रदा एकादशी साल में दो बार मनाई जाती है. पहली माघ महीने में और दूसरी पौष महीने में. हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए अमोघ माना जाता है.
पुत्रदा एकादशी पर क्या करना चाहिए?
भगवान विष्णु की पूजा, उपवास, दान-पुण्य और रात्रि जागरण करना चाहिए।
क्या पुत्रदा एकादशी व्रत केवल संतान के लिए ही होता है?
मुख्य रूप से यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए होता है, लेकिन इसे परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भी रखा जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत में क्या भोजन करना चाहिए?
फलाहार, दूध, फल, मेवे आदि का सेवन कर सकते हैं। अन्न, नमक और तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए।
निष्कर्ष
पुत्रदा एकादशी 2025 में श्रद्धा और भक्ति से व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें। इस व्रत से जीवन में संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि आती है। अपने अनुभव और विचार कमेंट में साझा करें और इस जानकारी को अपने परिवार और मित्रों के साथ साझा करें।