छोटी दीपावली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन पापों से मुक्ति और यमराज की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा और व्रत का आयोजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था।
नरक चतुर्दशी का महत्व
- नरक से मुक्ति:
इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है और नरक जाने से मुक्ति मिलती है। - यमराज का दीपदान:
इस दिन शाम को यमराज के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। - श्रीकृष्ण की आराधना:
भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
छोटी दीपावली (नरक चतुर्दशी) व्रत और पूजा विधि
- प्रातः स्नान:
प्रातःकाल चिचड़ी (अपामार्ग) पौधे के साथ तेल लगाकर स्नान करें। इसे नरक से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। - भगवान श्रीकृष्ण का पूजन:
भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्नान कराकर पुष्प, चंदन और भोग अर्पित करें। - दीपदान:
शाम को घर के बाहर यमराज के नाम से दीपक जलाएं। इसे यमराज का दीपदान कहा जाता है। - ब्राह्मण भोजन:
ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें और उनसे आशीर्वाद लें। - पाप से क्षमा याचना:
भगवान से अपने पापों की क्षमा मांगें और पुण्य के लिए संकल्प लें।
नरक चतुर्दशी की कथा
प्राचीन समय में ‘रन्तिदेव’ नामक राजा था। वह पहले जन्म में धर्मात्मा, दानी था। उसी पूर्वकत कर्मों से, इस जन्म में भी राजा ने अपार दानादि देकर सत्य कार्य किए। जब उसका अन्त समय आया तब यमराज के दूत उन्हें लेने आये। बार-बार राजा को लाल-लाल आंखें निकालकर कह रहे थे-राजन् ! नरक में चलो, तुम्हें वहीं चलना पड़ेगा।
इस पर राजा घबड़ाया और नरक में चलने का कारण पूछा। यम के दूतों ने कहा- राजन् ! आपने जो कुछ दान-पुण्य किया है, उसे तो समस्त विश्व जानता है किन्तु पाप को केवल भगवान और धर्मराज ही जानते हैं। राजा बोला- उस पाप को मुझे भी बताओ जिससे उसका निवारण कर सकूं। यमदूत बोले-एक बार तेरे द्वार से भूख से व्याकुल एक ब्राह्मण लौट गया था, इससे तुझे नरक में जाना पड़ेगा। यह सुन राजा ने यमदूतों से विनती की कि आयु एक वर्ष बढ़ा दी जाय। इस विषय को दूतों ने बिना सोच-विचार किये ही स्वीकार कर लिया और राजा की आयु एक वर्ष बढ़ा दी गई।
यमदूत चले गये। राजा ने ऋषियों के पास जाकर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। ऋषियों ने बतलाया- हे राजन् ! तुम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रहकर भगवान कृष्ण का पूजन करना, ब्राह्मण भोजन कराना, तथा दान देकर सब अपराध सुनाकर क्षमा मांगना तब तुम पापमुक्त हो जाओगे।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर राजा नियमपूर्वक व्रत रहा और अन्त में विष्णुलोक को प्राप्त किया।
नरक चतुर्दशी FAQs
- नरक चतुर्दशी पर कौन-कौन से कार्य शुभ माने जाते हैं?
सुबह चिचड़ी पौधे के साथ स्नान, भगवान कृष्ण की पूजा, और दीपदान शुभ माने जाते हैं। - क्या नरक चतुर्दशी पर व्रत सभी रख सकते हैं?
हां, यह व्रत हर व्यक्ति रख सकता है। इससे पापों का नाश और जीवन में शांति आती है। - यमराज के लिए दीपदान क्यों किया जाता है?
यमराज के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और शुभता आती है। - इस दिन क्या खाने से बचना चाहिए?
व्रत के दिन मांसाहार और तामसिक भोजन का परहेज करना चाहिए।
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