मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इस व्रत का पालन सास-बहू के रिश्ते में मजबूती और परस्पर प्रेम को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। आइए, इस व्रत की पूजा विधि, कथा, और महत्त्व को विस्तार से समझें।
Table of contents
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान और तैयारी
पूजा करने से पहले व्रती महिला को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा के लिए लाल और सफेद कपड़े से पट्टे को सुसज्जित करें।
2. पूजन सामग्री की व्यवस्था
- सफेद कपड़े पर चावल से नौ ग्रह बनाएँ।
- लाल कपड़े पर गेहूँ से षोड्श मातृका का निर्माण करें।
- पट्टे पर चावल और गेहूँ के ढेर पर गणेशजी और कलश की स्थापना करें।
3. पूजा की विधि
- गणेशजी और कलश की पूजा करें।
- मंगला गौरी की मिट्टी या गंगा मिट्टी से मूर्ति बनाकर, उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ।
- देवी को वस्त्र, नथ, और अन्य सुहाग सामग्री अर्पित करें।
- 16 तरह के पुष्प, पत्ते, माला, अनाज, मेवा, और अन्य सामग्री चढ़ाएँ।
- कथा सुनने के बाद आरती करें और 16 आटे के लड्डुओं का बायना सास के चरणों में समर्पित करें।
मंगला गौरी व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक निर्धन ब्राह्मण परिवार की कन्या को अपने पति की दीर्घायु के लिए भगवान शिव और देवी गौरी का व्रत करने की प्रेरणा मिली। उसने मंगला गौरी व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया। इसके परिणामस्वरूप, उसके पति को लंबी आयु और सुखमय जीवन का आशीर्वाद मिला।
इस कथा का संदेश यह है कि मंगला गौरी व्रत करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सम्मान, और सुरक्षा का भाव बढ़ता है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
1. वैवाहिक जीवन की समृद्धि
यह व्रत मुख्यतः पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए किया जाता है।
2. आध्यात्मिक लाभ
व्रती स्त्री को धार्मिक नियमों का पालन करते हुए आत्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. परंपरा और परिवारिक बंधन
यह व्रत सास-बहू के रिश्ते को मजबूत करने और परिवार में सामंजस्य बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
उजमन का विधान
कब और कैसे करें?
- मंगला गौरी व्रत का उजमन 16 या 20 मंगलवारों के बाद किया जाता है।
- उजमन के दिन सुहाग सामग्री और दक्षिणा सास के चरणों में समर्पित की जाती है।
- पूजा के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा प्रदान करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. मंगला गौरी व्रत कौन कर सकता है?
मुख्यतः यह व्रत विवाहित महिलाएँ करती हैं, लेकिन अविवाहित लड़कियाँ भी इसे अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कर सकती हैं।
2. क्या व्रत में नमक खाना वर्जित है?
हाँ, मंगला गौरी व्रत के दौरान व्रती को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. मंगला गौरी व्रत कितने मंगलवारों तक करना चाहिए?
यह व्रत सामान्यतः 16 या 20 मंगलवारों तक किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत करने से महिलाओं को वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और परिवार में समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत महिलाओं को आत्मशुद्धि, आत्मसंयम, और देवी गौरी की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
यदि आपने यह व्रत किया है या इसकी कथा के बारे में और जानना चाहते हैं, तो कृपया अपने विचार साझा करें।