भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली कजरी तीज उत्तर प्रदेश के बनारस और मिर्जापुर क्षेत्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।
कजरी तीज में महिलाओं और युवतियों द्वारा गाए जाने वाले कजरी गीत पर्व की पहचान हैं। ये गीत वर्षा ऋतु, विरह, प्रेम, और प्रकृति की सुंदरता को दर्शाते हैं।
Table of contents
कजरी तीज की परंपराएं और रीति-रिवाज
1. कजरी गीतों की परंपरा
- कजरी गीत इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है।
- विशेष रूप से नावों पर सवार होकर लोग समूह में कजरी गीत गाते हैं।
- यह गीत पपीहा, पुरवा हवाओं और बरसात की झमाझम बारिश का वर्णन करते हैं।
2. झूलों की प्रथा
- इस दिन महिलाएं और बालिकाएं झूला झूलती हैं।
- झूलों पर बैठकर वे कजरी गीत गाती हैं, जिससे त्योहार की उमंग और बढ़ जाती है।
3. पकवान और मिष्ठान
- ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
- तीज के लिए घर-घर में मिठाइयों और पारंपरिक व्यंजनों की तैयारी होती है।
कजरी गीत: विरह और प्रकृति का मधुर संगम
कजरी गीत ब्रज के मल्हार रागों की तरह वर्षा ऋतु के लिए विशेष माने जाते हैं। इन गीतों में पपीहे की पुकार, काले बादलों की गर्जना, और प्रिय के विरह का भाव प्रकट किया जाता है। ये गीत न केवल महिलाओं के मन को लुभाते हैं, बल्कि ग्रामीण परिवेश में आनंद और उल्लास का वातावरण भी बनाते हैं।
पर्व का ग्रामीण स्वरूप
ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को “तीजा” के नाम से जाना जाता है। बालिकाएं और विवाहित महिलाएं हिंडोले पर बैठती हैं और परंपरागत गीत गाकर त्योहार का आनंद उठाती हैं। वर्षा ऋतु के मद्देनज़र, यह पर्व प्रकृति से एक मधुर संवाद की तरह है।
कजरी तीज का महत्व
- संस्कृति और संगीत का उत्सव
- कजरी गीत भारत की समृद्ध लोक संस्कृति का हिस्सा हैं।
- प्रकृति का अभिनंदन
- यह पर्व वर्षा ऋतु की सुंदरता और उल्लास का प्रतीक है।
- सामुदायिक समरसता
- ग्रामीण क्षेत्रों में यह पर्व सामूहिकता और मेल-मिलाप का अवसर प्रदान करता है।
- परिवार और परंपरा
- महिलाएं और युवतियां पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए परिवार के साथ त्योहार मनाती हैं।
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FAQs
1. कजरी तीज कब मनाई जाती है?
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है।
2. इस पर्व की प्रमुख गतिविधियां क्या हैं?
कजरी गीत गाना, झूला झूलना, पकवान बनाना, और सामूहिक उत्सव मनाना इस पर्व की प्रमुख गतिविधियां हैं।
3. कजरी गीत क्या दर्शाते हैं?
कजरी गीत प्रकृति, वर्षा ऋतु, पपीहा, पुरवा हवा, और प्रिय के विरह को दर्शाते हैं।
4. कजरी तीज कहां विशेष रूप से मनाई जाती है?
यह पर्व उत्तर प्रदेश के बनारस और मिर्जापुर क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
5. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे क्या कहते हैं?
ग्रामीण अंचलों में इसे “तीजा” कहा जाता है।
निष्कर्ष
कजरी तीज भारतीय लोक संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है। यह पर्व न केवल संगीत और झूलों का उत्सव है, बल्कि यह हमें प्रकृति से जुड़ने और सामूहिकता का आनंद लेने का अवसर भी प्रदान करता है।
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