भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला गूगा पंचमी, जिसे भाई भिन्ना भी कहते हैं, नाग देवता की पूजा का पर्व है। यह पर्व स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे सौभाग्य, पति की लंबी उम्र, और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
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पूजा विधि-विधान
गूगा पंचमी की पूजा विधि सरल है लेकिन इसके सभी चरणों का पालन करना अनिवार्य है।
- नाग देवता को दूध अर्पित करें
- सबसे पहले एक कटोरे में दूध भरकर नागों को अर्पित करें।
- दीवार पर नागों का चित्र बनाएं
- दीवार पर गेरू से पोताई करें।
- दूध में कोयला पीसकर चाकोर आकार का घर बनाएं और उसमें पाँच सर्पों की आकृति बनाएं।
- अर्पण सामग्री चढ़ाएं
- नागों पर जल, कच्चा दूध, रोली, चावल, बाजरा, आटा, घी, और चीनी चढ़ाएं।
- पूजा के अंत में पंडित को दक्षिणा दें।
- बायना निकालें
- भीगे हुए मौठ और बाजरे का बायना निकालें।
- सास के पैर छूकर उन्हें बायना अर्पित करें।
गूगा पंचमी की कथा
एक साहूकार के साथ उनके सात विवाहित पुत्र थे। उनमें सबसे छोटी बहु का कोई भी भाई नहीं था।
खेत में पीली मिट्टी लाने की घटना
एक दिन बड़ी बहु ने घर को लीपने के लिए सभी बहुओं से पीली मिट्टी लाने को कहा। सभी बहुएं डलिया और खुरपी लेकर खेत की ओर चलीं। मिट्टी खोदते समय बड़ी बहु को एक सर्प दिखाई दिया। जब बड़ी बहु ने खुरपी से सर्प को मारने का प्रयास किया, तो छोटी बहु ने उसे रोकते हुए कहा, “मत मारो, यह बेचारा निरीह जीव है।”
छोटी बहु का वादा
सर्प को न मारने का वादा कर, छोटी बहु ने उसे भरोसा दिलाया कि वे मिट्टी घर रखकर वापस आएंगी। हालांकि, वह घर के कामों में व्यस्त होकर सर्प से किए वादे को भूल गई।
सर्प से क्षमा मांगना
अगले दिन छोटी बहु को अपना वादा याद आया। सभी बहुओं के साथ वह सर्प के पास पहुंची। सर्प ने उसे याद दिलाया कि झूठ बोलने के कारण वह उसे डस सकता था। छोटी बहु ने माफी मांगी और सर्प ने उसे अपनी बहन मान लिया।
भाई का प्रस्ताव
भाई सर्प ने छोटी बहु से कहा, “अब मैं तुम्हारा भाई हुआ। जो मांगना हो, मांग लो।” छोटी बहु ने खुशी जताई कि अब उसका भाई है।
सर्प भाई का घर
सर्प मनुष्य रूप में छोटी बहु के ससुराल पहुंचा और उसे अपने साथ ले गया। रास्ते में उसने छोटी बहु को अपनी पहचान बताई और कहा कि जहां कठिनाई हो, उसकी पूंछ पकड़ ले। छोटी बहु सर्प भाई के घर पहुंचकर वहां के धन और ऐश्वर्य को देखकर चकित रह गई।
दूध की घटना
एक दिन सर्प की माता ने छोटी बहु को सर्प को ठंडा दूध देने को कहा। गलती से छोटी बहु ने गर्म दूध दे दिया, जिससे सर्प का मुख जल गया। हालांकि, सर्प के समझाने पर उसकी माता शांत हो गई।
सर्प भाई का विदा करना
सर्प के माता-पिता ने छोटी बहु को स्वर्ण, रत्न, आभूषण और वस्त्र देकर विदा किया।
रानी और हीरे-मणियों का हार
सर्प भाई ने छोटी बहु को हीरे-मणियों का अद्भुत हार दिया। इसकी चर्चा रानी तक पहुंची। रानी ने राजा से हार मंगाने को कहा। जब मंत्री हार लेने आया, तो छोटी बहु ने सर्प भाई को याद किया। सर्प ने हार में जादू कर दिया—रानी के गले में हार सर्प बन जाता और छोटी बहु के गले में हीरे-मणियों का हो जाता।
राजा के पास छोटी बहु का बुलावा
रानी के गले में हार सर्प बन जाने से राजा ने छोटी बहु को बुलाया। छोटी बहु ने सच बताते हुए हार पहनकर जादू दिखाया। इससे प्रसन्न होकर राजा ने उसे मुद्राएं दीं।
परिवार में सर्प भाई की भूमिका
घर लौटने पर बड़ी बहु ने ईर्ष्या में छोटी बहु पर सवाल उठाए। छोटी बहु के पति ने भी धन के स्रोत के बारे में पूछा। छोटी बहु ने सर्प को याद किया। सर्प ने प्रकट होकर चेतावनी दी कि वह अपनी धर्म बहन पर शक करने वालों को नहीं छोड़ेगा।
त्योहार की शुरुआत
इस घटना के बाद से स्त्रियां सर्प को अपना भाई मानकर उसकी पूजा करने लगीं।
इस कथा को व्रत के दौरान सुनने और दूसरों को सुनाने से विशेष पुण्य मिलता है। नाग पंचमी और भैया पाँचे की कथा की कथा भी सुनी जा सकती है।
गूगा पंचमी के लाभ
- सौभाग्य की प्राप्ति
- यह व्रत स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि करता है और उनके वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।
- पति की रक्षा
- व्रत करने से पति की सभी विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- नाग देवता की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- धार्मिक पुण्य
- नाग देवता की पूजा और व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
FAQs
1. गूगा पंचमी का महत्व क्या है?
यह पर्व नाग देवता की पूजा और स्त्रियों के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. गूगा पंचमी का व्रत कौन कर सकता है?
यह व्रत विशेष रूप से विवाहित और कुंवारी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
3. गूगा पंचमी और नाग पंचमी में क्या अंतर है?
गूगा पंचमी नाग पंचमी के समान ही नाग देवता की पूजा का पर्व है, लेकिन यह भाद्रपद की कृष्ण पंचमी को मनाई जाती है।
4. व्रत के दौरान क्या सामग्री अर्पित करनी चाहिए?
जल, कच्चा दूध, रोली, चावल, बाजरा, आटा, घी, चीनी, और भीगे हुए मौठ-बाजरे का बायना।
5. गूगा पंचमी की कथा क्यों सुनाई जाती है?
कथा सुनने से व्रत का पुण्य बढ़ता है और नाग देवता की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
गूगा पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पारिवारिक सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन को मधुर बनाने का भी एक माध्यम है। नाग देवता की पूजा और व्रत से स्त्रियों को सौभाग्य और जीवन में संतोष प्राप्त होता है।
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