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गौ गिरिराज व्रत
व्रत / त्यौहार

गौ गिरिराज व्रत: क्या है इसका महत्व और पूजा विधि?

गौ गिरिराज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है। यह व्रत न केवल गौ माता की पूजा के लिए विशेष है, बल्कि भगवान लक्ष्मीनारायण की कृपा प्राप्ति का भी माध्यम है। इसे करने से सहस्रों अश्वमेध और राजसूय यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है।


गौ गिरिराज व्रत की पूजा विधि

चरणबद्ध प्रक्रिया

  1. मंडप स्थापना और प्रतिमा स्नान:
    सबसे पहले एक मंडप तैयार करें और भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा को स्नान कराकर उसमें स्थापित करें।
  2. गाय की पूजा:
    गाय को सजा-धजाकर उसकी पूजा करें और निम्न मंत्र का जाप करें:
    “पंचगावः समुत्पन्नाः मध्यमाने महोदधौ।
    तासां मध्ये तु या नन्दा तस्मै धेन्यवे नमो नमः।”
    अर्थ: जब क्षीर सागर का मंथन हुआ, तब पाँच दिव्य गायें उत्पन्न हुईं। उनमें से नन्दा नामक गाय को बारंबार नमस्कार है।
  3. गायों को नमस्कार:
    गायों को सम्मानपूर्वक प्रणाम करें और उनके लिए चारा अर्पित करें।
  4. दान और मंत्र जाप:
    गाय ब्राह्मण को दान करें और निम्न मंत्र का जाप करें:
    “गावों ममाग्रमः सन्तु गांवों में सन्तुपृष्ठतः।
    गावों में पार्श्वतः सन्तु गवाँ मध्ये वासभ्यहम।”
    अर्थ: गाएँ मेरे आगे, पीछे, और बगल में रहें। मैं गायों के बीच में निवास करता रहूँ।
  5. दक्षिणा और ब्राह्मण सत्कार:
    ब्राह्मण को दक्षिणा, भोजन, और वस्त्र देकर आदरपूर्वक विदा करें।

गौ गिरिराज व्रत का महत्व

  • इस व्रत को करने से व्यक्ति को सहस्रों अश्वमेध यज्ञ और राजसूय यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
  • गौ पूजा से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का वरदान मिलता है।
  • यह व्रत करने वाले पर भगवान लक्ष्मीनारायण की असीम कृपा होती है।

FAQs

1. गौ गिरिराज व्रत किस दिन किया जाता है?

यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

2. इस व्रत में कौन-कौन सी देवताओं की पूजा होती है?

गौ माता के साथ भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा भी की जाती है।

3. क्या गौ पूजा के बाद दान करना अनिवार्य है?

हां, ब्राह्मण को गौ दान और दक्षिणा देने से व्रत का पुण्य पूर्ण होता है।

4. इस व्रत का क्या फल मिलता है?

इस व्रत से सहस्रों यज्ञों के समान पुण्य फल मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


निष्कर्ष

गौ गिरिराज व्रत एक पवित्र और फलदायी व्रत है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सुख प्रदान करता है। इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे शेयर करें और अपने अनुभव कमेंट में साझा करें।


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