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पूजा विधियाँ, आरती मंत्र, व्रत त्यौहार

गणगौर व्रत
व्रत / त्यौहार

गणगौर व्रत: गणगौर व्रत की शुरुआत कैसे हुई ? कथा, विधि विधान

गणगौर व्रत हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है। इस व्रत के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

व्रत का महत्व

कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती और पार्वती ने सभी स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान दिया था। गणगौर व्रत स्त्रियों के लिए श्रद्धा, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।

पूजा विधि-विधान

  • गौरी की स्थापना: पूजा के समय मिट्टी से रेणुका की गौरी (गणगौर) बनाई जाती है। इन पर चूड़ी, महावर, और सिन्दूर चढ़ाने का विशेष महत्व है।
  • पूजा सामग्री: चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य और सुहाग सामग्री चढ़ाई जाती है।
  • विशेष नियम: व्रत रखने वाली स्त्रियाँ गणगौर पर चढ़े सिन्दूर को अपनी मांग में लगाती हैं।

पौराणिक कथा

एक बार भगवान शिव, देवी पार्वती और नारद मुनि पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन जब वे एक गाँव पहुंचे, तो धनी स्त्रियाँ रुचिकर भोजन बनाने में व्यस्त हो गईं। वहीं, निर्धन स्त्रियों ने अपनी भक्ति से हल्दी, चावल और जल अर्पित कर शिव-पार्वती की पूजा की। उनकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर पार्वती जी ने उन्हें सुहाग का वरदान दिया।

धनी स्त्रियाँ जब देर से पूजा के लिए पहुँचीं, तो पार्वती जी ने अपनी अंगुली का रक्त चीरकर उन्हें सौभाग्य का प्रसाद दिया और कहा कि वे माया-मोह का त्याग कर पति की सेवा में समर्पित रहेंगी। इस व्रत के प्रभाव से उनके पति चिरंजीवी होंगे।

व्रत का रहस्य और परंपरा

पार्वती जी ने इस व्रत को गुप्त रूप से किया था। इसी परंपरा के अनुसार आज भी पूजन के समय पुरुष उपस्थित नहीं रहते।

उजमन विधि

पहली बार गणगौर व्रत करने वाली लड़की (ब्यावली) को उजमन करना चाहिए। इसमें:

  • गणगौर की पूजा करते समय 8 मीठी और 8 फीकी मीठी गणगौर चढ़ाई जाती है।
  • सोलह स्थानों पर 8-मीठी और 8 फीकी मीठी गणगौर पर तिल और रुपया रखकर वायना निकाला जाता है।
  • पूजा के बाद सास के पैर छूकर वायना अर्पित किया जाता है।

FAQs

1. गणगौर व्रत क्यों मनाया जाता है?

यह व्रत सौभाग्य, सुख-शांति और पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन स्त्रियों द्वारा रखा जाता है।

2. गणगौर व्रत कब किया जाता है?

यह व्रत हर साल चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है।

3. क्या इस व्रत को कुंवारी लड़कियाँ भी कर सकती हैं?

हाँ, कुंवारी लड़कियाँ भी इसे अपने इच्छित वर की प्राप्ति के लिए कर सकती हैं।

4. गणगौर व्रत में कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग होता है?

मिट्टी की गणगौर, चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, सुहाग सामग्री, हल्दी और सिन्दूर।

5. गणगौर व्रत का उजमन क्यों किया जाता है?

उजमन गणगौर व्रत की पूर्णता का प्रतीक है, जिसे पहली बार व्रत करने वाली लड़की करती है।


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