धन तेरस, जिसे धन्वंतरि जयन्ती भी कहा जाता है, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। यह पर्व दीपावली के आगमन की शुभ सूचना देता है। इस दिन धन्वंतरि के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
धन तेरस का महत्व
- धन्वंतरि जयन्ती:
इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इसे “धन्वंतरि जयन्ती” भी कहा जाता है। - लक्ष्मी की कृपा:
इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में धन-धान्य, सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। - नई वस्तुओं का आगमन:
धन तेरस पर नए बर्तन या चांदी खरीदने की परंपरा है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
धन्वंतरि जयन्ती (धन तेरस) पूजा विधि
- घर की स्वच्छता:
घर को साफ और व्यवस्थित रखें। स्वच्छता लक्ष्मी जी को आकर्षित करती है। - दीपक जलाना:
रात को घी का दीपक जलाएं। उसमें चार बत्तियाँ डालें और एक कौड़ी रखें। - पूजन सामग्री:
पूजन में जल, रोली, चावल, फूल, गुड़, चार सुहाली और दक्षिणा का उपयोग करें। - लक्ष्मी पूजा:
लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए उनकी कथा सुनें और आरती करें। - कौड़ी का महत्व:
पूजा के बाद कौड़ी को सुरक्षित रखें। इसे शुभ माना जाता है।
धन तेरस की कथा
एक दिन भगवान विष्णु विचरण करने के लिए लक्ष्मी सहित भूमण्डल पर आये। लक्ष्मी से बोले कि मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ तुम उधर मत देखना। यह कह ज्योंही भगवान ने राह पकड़ी त्योंही लक्ष्मी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही दूर पर ईख का खेत मिला। वहीं लक्ष्मीजी ईख तोड़कर चूसने लीं। तत्क्षण भगवान लौट आये और यह देखकर लक्ष्मी पर क्रोधित होकर श्राप दिया- जिस किसान का यह खेत है 12 वर्ष तक उसकी सेवा करों ऐसा कहकर भगवान क्षीर सागर चले गये और लक्ष्मी ने किसान के यहाँ जाकर उसे धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। तत्पश्चात 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुई किन्तु किसान ने रोक लिया। भगवान जब किसान के यहाँ लक्ष्मी को बुलाने आए तो किसान ने लक्ष्मी को नहीं जाने दिया। तब भगवान बोले तुम परिवार सहित गंगा ज़ाकर स्नान करो और इन कौड़ियों को भी जल में छोड़ देना। जब तक तुम नहीं लौटोगे तब तक मैं नहीं जाऊंगा। किसान ने ऐसा ही किया।
जैसे ही उसने गंगा में कौड़ियां डालीं वैसे ही गंगा में से चार चतुर्भुज निकले और कौड़ियां लेकर चलने को उद्यत हुए। तब किसान ने ऐसा आश्चर्य देखा गंगाजी से पूछा कि ये चार भुजाएं किसकी थीं। गंगाजी ने बताया कि हे किसान ! वे चारों हाथ मेरे ही थे, तूने जो कौड़ियां मुझे भेंट की हैं, वे किसकी दी हुई हैं ? किसान बोला- मेरे घर में दो सज्जन आए हैं, उन्होंने ही दी हैं।
तब गंगाजी बोलीं- तुम्हारे घर जो स्त्री है वह लक्ष्मी हैं और पुरुष विष्णु भगवान हैं। तुम लक्ष्मी को न जाने देना, नहीं तो पुनः निर्धन हो जाओगे। यह सुन जब वह घर लौटा तो भगवान से बोला कि मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा। तब भगवान ने किसान को समझाया कि इनको मेरा श्राप था जो कि बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मी चंचल होती हैं इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इस पर लक्ष्मीजी ने स्वयं कहा कि-हे किसान ! यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो सुनो। कल तेरस है, तुम अपना घर स्वच्छ रखो। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना, तब मैं तुम्हारे घर आऊंगी। उस समय तुम मेरी पूजा करना, किन्तु मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। किसान ने कहा-ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा। दूसरे दिन किसान ने लक्ष्मी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। इसी भांति वह हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा। उस किसान को ऐसा करते देखकर अन्य लोगों ने भी पूजा करना शुरु कर दिया।
धन तेरस व्रत के लाभ
- धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति।
- लक्ष्मी जी की कृपा से जीवन में खुशहाली।
- स्वास्थ्य और वैभव का आशीर्वाद।
FAQs
- धन तेरस पर क्या खरीदना चाहिए?
चांदी के बर्तन, सोने के गहने या कोई नई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। - क्या धन तेरस पर केवल लक्ष्मी जी की पूजा होती है?
नहीं, इस दिन धन्वंतरि और यमराज की पूजा का भी महत्व है। - क्यों जलाते हैं घी का दीपक?
घी का दीपक जलाना लक्ष्मी जी को आकर्षित करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। - क्या धन तेरस का व्रत सभी रख सकते हैं?
हां, यह व्रत हर व्यक्ति कर सकता है। यह व्रत धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।