अशोकाष्टमी: आरोग्य और श्रद्धा का पर्व
अशोकाष्टमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन अशोक वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। यह त्यौहार श्रद्धा, स्वास्थ्य और धार्मिकता का प्रतीक है।
Table of contents
अशोकाष्टमी का महत्व
अशोक वृक्ष भारतीय संस्कृति में पवित्रता और आरोग्य का प्रतीक है। इस दिन इसका पूजन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और शरीर के रोग दूर होते हैं।
पौराणिक कथा
कहा जाता है कि अशोकाष्टमी के दिन हनुमान जी ने माता सीता को लंका की अशोक वाटिका में भगवान राम का संदेश और अंगूठी प्रदान की थी। इस घटना ने माता सीता को आशा और धैर्य प्रदान किया।
पूजा विधि
- अशोक वृक्ष का पूजन: इस दिन अशोक वृक्ष की पूजा की जाती है।
- अशोक कलिकाओं का रस: अशोक वृक्ष की कलिकाओं का रस निकालकर पीने से शरीर के रोगों का समूल नाश हो जाता है।
FAQs
1. अशोकाष्टमी क्यों मनाई जाती है?
यह त्यौहार अशोक वृक्ष की पवित्रता, स्वास्थ्य और धार्मिक महत्व को समर्पित है।
2. अशोकाष्टमी कब मनाई जाती है?
यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।
3. अशोक वृक्ष की पूजा का क्या महत्व है?
अशोक वृक्ष की पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और आरोग्य लाभ प्राप्त होता है।
4. क्या अशोक कलिकाओं का रस पीना लाभकारी है?
हाँ, अशोक कलिकाओं का रस पीने से शरीर के रोग समाप्त हो जाते हैं।
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