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आमल एकादशी
व्रत / त्यौहार

आमल एकादशी: व्रत विधि, कथा और महत्व

जानिए फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन मनाई जाने वाली आमल एकादशी व्रत की विधि, कथा और इसके महत्व को। भगवान की कृपा पाने का विशेष दिन।


आमल एकादशी का महत्त्व

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली आमल एकादशी का खास धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान का निवास होता है, और इस व्रत के प्रभाव से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।


आमल एकादशी व्रत की पूजा विधि

आमल एकादशी व्रत को विधि-विधान से करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  1. स्नान और संकल्प:
    • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  2. आंवले के वृक्ष की पूजा:
    • आंवले के वृक्ष के नीचे बैठें।
    • जल, रोली, चावल, फूल, और दीपक से वृक्ष की पूजा करें।
    • वृक्ष के पास भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनका पूजन करें।
  3. एकादशी व्रत कथा सुनें:
    • पूजा के बाद आमल एकादशी की कथा का श्रवण करें।
  4. व्रत का पालन:
    • इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत करें।
    • पूर्ण ब्रह्मचर्य और शुद्ध आचरण का पालन करें।
  5. दान-पुण्य करें:
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान दें।

आमल एकादशी की कथा

चित्रसेन राजा की कहानी

प्राचीन काल में भारत देश में चित्रसेन नामक राजा राज्य करते थे जिनके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्त्व था। समस्त लोग एकादशी व्रत को किया करते थे। एक दिन वह राजा जंगल में शिकार खेलते-खेलते काफी दूर निकल गये तभी कुछ जंगली जातियों ने उन्हें आकर घेर कर आक्रमण कर दिया लेकिन उनके अस्त्र-शस्त्रो का राजा पर कोई प्रभाञ नहीं पढ़ा। ये देखकर से जंगली आश्चर्यचकित रह गये। जब उन जंगली जातियों की संख्या देखते ही देखते बहुत बढ़ गई तो राजा संज्ञाहीन होकर पृथ्वी पर धराशायी हो गये। उसी समय उनके शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई जो उन समस्त राक्षसों को मारकर अदृश्य हो गई।

जब राजा की चेतना लौटी तो उन्होंने देखा कि समस्त जंगली मरे पड़े हैं। अब वे इस सोच में पड़ गए कि इन्हें किसने मारा ? तभी आकाशवाणी हुई कि हे राजन! ये समस्त आक्रामक तुम्हारे पिछले जन्म की आमल एकादशी के व्रत के प्रभाव से मारे गए हैं।

यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ तथा समस्त राज्य में इस एकादशी के महात्म्य को कह सुनाया।

आमल एकादशी के लाभ

  1. सभी पापों का नाश:
    आमल एकादशी व्रत से पिछले जन्म और वर्तमान जीवन के पापों का नाश होता है।
  2. शारीरिक और मानसिक शांति:
    इस व्रत के पालन से भक्त को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।
  3. सुख-समृद्धि:
    व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और वैभव का वास होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति:
    यह व्रत व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है।

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • झूठ, अहंकार, और क्रोध से बचें।
  • आंवले के वृक्ष के पास पूजा करना अनिवार्य है।
  • रात्रि जागरण कर भगवान का स्मरण करें।

निष्कर्ष: श्रद्धा और विश्वास का पर्व

आमल एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने का एक उत्तम साधन है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है बल्कि भक्त के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। यदि आप इस व्रत को सही विधि और नियमों से करेंगे, तो निश्चित रूप से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

आपने यह व्रत किया है या इससे संबंधित कोई प्रश्न है? कृपया नीचे कमेंट में बताएं और इस जानकारी को अपने प्रियजनों के साथ साझा करें।


Frequently Asked Questions (FAQs)

1. आमल एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है?

आमल एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने और पापों से मुक्ति के लिए किया जाता है।

2. क्या व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा अनिवार्य है?

हां, इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि इसे भगवान का निवास स्थान माना जाता है।

3. क्या आमल एकादशी व्रत में फलाहार किया जा सकता है?

हां, यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख सकते, तो फलाहार कर सकते हैं।

4. व्रत का समापन कैसे करें?

व्रत का समापन द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन और दान करके करें।


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