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व्रत / त्यौहार

अक्षय तृतीया (आखातीज): शुभ मुहूर्त, व्रत, और दान का पर्व

आखातीज जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन का हर कार्य, तप, और दान अक्षय फल प्रदान करता है। इसलिए इसे “अक्षय तृतीया” कहा जाता है। यह पर्व विशेष रूप से शुभ मुहूर्त के लिए जाना जाता है, जब मांगलिक कार्य बिना किसी पूछ-ताछ के संपन्न किए जा सकते हैं।


अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय फल का प्रतीक

इस दिन किए गए दान, पूजा, और पुण्य कार्यों का फल कभी नष्ट नहीं होता। इसलिए अक्षय तृतीया को सुख, समृद्धि, और कल्याण का पर्व माना गया है।

शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया को भारतीय पंचांग में सबसे शुभ तिथि मानी जाती है। विवाह, व्यापार का आरंभ, भवन निर्माण, और अन्य मांगलिक कार्य इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय मुहूर्त के किए जा सकते हैं। यदि यह पर्व सोमवार और रोहिणी नक्षत्र में पड़े, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

  1. श्री बद्रीनारायण के पट खुलना: अक्षय तृतीया के दिन श्री बद्रीनारायण जी के पट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाते हैं।
  2. भगवान परशुराम का जन्म: इसे भगवान परशुराम के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
  3. दान की महत्ता: पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली, और वस्त्र का दान विशेष फलदायक माना गया है।

अक्षय तृतीया व्रत और पूजा विधि

पूजा सामग्री

  1. भीगी हुई चने की दाल
  2. मिश्री
  3. पुष्प, अक्षत (चावल)
  4. गंगाजल
  5. पंखा, फल, और अन्य दान सामग्री

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  2. घर के मंदिर में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. श्री बद्रीनारायण जी की पूजा करें और उन्हें भीगी हुई चने की दाल और मिश्री का भोग अर्पित करें।
  4. “ओम विष्णवे नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. पूजा के बाद दान करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

दान का महत्व और परंपरा

अक्षय तृतीया के दिन दान को अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन निम्नलिखित वस्तुओं का दान विशेष पुण्यकारी होता है:

  • पंखा: गर्मियों में शीतलता प्रदान करने का प्रतीक।
  • चावल और नमक: अन्नदान का महत्व।
  • घी और चीनी: समृद्धि और मिठास का प्रतीक।
  • वस्त्र और फल: जरूरतमंदों की सहायता।

दान के माध्यम से समाज में समानता और सेवा का संदेश दिया जाता है।


अक्षय तृतीया का सांस्कृतिक महत्व

यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। विवाह जैसे आयोजन, जो समाज को जोड़े रखने का माध्यम हैं, इस दिन बिना किसी बाधा के संपन्न किए जाते हैं। व्यापार और नए कार्यों की शुरुआत भी इस दिन शुभ मानी जाती है।


निष्कर्ष

अक्षय तृतीया (आखातीज) एक ऐसा पर्व है जो धार्मिकता, शुभता, और परोपकार का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि शुभ कर्मों और दान से जीवन में सुख-समृद्धि लाई जा सकती है। आप भी इस पावन पर्व को पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाएं। यदि यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें।


FAQs: अक्षय तृतीया

1. अक्षय तृतीया का महत्व क्या है?
अक्षय तृतीया को शुभ और अक्षय फलदायक कार्यों के लिए जाना जाता है। इस दिन का हर पुण्य कार्य कभी नष्ट नहीं होता।

2. इस दिन कौन-कौन से कार्य किए जा सकते हैं?
विवाह, व्यापार आरंभ, भवन निर्माण, और अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।

3. क्या अक्षय तृतीया के दिन व्रत करना आवश्यक है?
व्रत करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन व्रत और पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

4. दान में किन वस्तुओं का महत्व है?
पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली, और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।

5. क्या अक्षय तृतीया सभी के लिए शुभ है?
हां, यह दिन सभी के लिए शुभ और फलदायक होता है।


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