भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अजा एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी, जया एकादशी, और कामिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु की आराधना का पावन दिन है। इस दिन उपवास और रात्रि जागरण करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
Table of contents
अजा एकादशी का धार्मिक महत्त्व
व्रत का प्रभाव
अजा एकादशी पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत जीवन में सत्य, धर्म और भक्ति के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।
पूजा-विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ, या एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- फलाहार करें और रात्रि जागरण करें।
राजा हरिश्चन्द्र और अजा एकादशी की अद्भुत कथा
सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र की परीक्षा
सत्य और धर्म के प्रतीक माने जाने वाले राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न में देखा कि उन्होंने ऋषि विश्वामित्र को अपना राज्य दान कर दिया है। अगले दिन जब ऋषि विश्वामित्र उनके दरबार पहुँचे, तो राजा ने अपना संपूर्ण राज्य उन्हें सौंप दिया।
दक्षिणा का दान और कठिन परीक्षा
ऋषि विश्वामित्र ने दक्षिणा में पाँच सौ स्वर्ण मुद्राएँ मांगी। इस दक्षिणा को चुकाने के लिए राजा हरिश्चन्द्र ने अपनी पत्नी, पुत्र और स्वयं को बेच दिया। राजा को एक चाण्डाल ने खरीदा और उन्हें श्मशान में मृतकों के परिवार से कर लेने का कार्य सौंपा।
पुत्र की मृत्यु और अजा एकादशी व्रत
कई वर्षों तक कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताने के बाद, राजा हरिश्चन्द्र की भेंट गौतम ऋषि से हुई। ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। इसी दौरान, उनके पुत्र रोहित का सर्पदंश से निधन हो गया। जब उनकी पत्नी पुत्र का अंतिम संस्कार करने श्मशान पहुँचीं, तो राजा हरिश्चन्द्र ने श्मशान कर मांगा।
प्रभु की कृपा
श्मशान कर चुकाने के लिए रानी ने अपनी चुनरी का आधा भाग दिया। तभी आकाश में बिजली चमकी और भगवान विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने राजा हरिश्चन्द्र की सत्यनिष्ठा और कर्तव्य परायणता की सराहना की। प्रभु की कृपा से उनका पुत्र रोहित पुनः जीवित हो गया।
भगवान विष्णु ने राजा और उनके परिवार को आशीर्वाद दिया, और वे चिरकाल तक सुखपूर्वक जीवन जीने के बाद स्वर्ग को प्राप्त हुए।
अजा एकादशी के लाभ
- जीवन के सारे पापों का नाश होता है।
- व्रती को मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- सत्य और धर्म के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
- मानसिक शांति और आत्मिक संतोष की प्राप्ति होती है।
FAQs: अजा (प्रबोधिनी) एकादशी
1. अजा एकादशी का क्या महत्व है?
यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। व्रत और पूजा से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट होते हैं।
2. क्या अजा एकादशी का व्रत कठिन है?
नहीं, यह व्रत फलाहार और भक्ति के साथ आसानी से किया जा सकता है।
3. राजा हरिश्चन्द्र की कथा का क्या संदेश है?
यह कथा सत्य, धर्म, और कर्तव्यनिष्ठा के प्रति राजा हरिश्चन्द्र के अद्भुत समर्पण को दर्शाती है।
4. क्या अजा एकादशी पर रात्रि जागरण आवश्यक है?
हाँ, रात्रि जागरण का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रती की भक्ति को और प्रबल करता है।
अजा एकादशी व्रत सत्य, धर्म, और भक्ति का प्रतीक है। यह न केवल जीवन के पापों से मुक्ति दिलाता है बल्कि हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। इस व्रत से जुड़े अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें और इस कथा को अपने प्रियजनों के साथ शेयर करें।
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