अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यदायक मानी जाती है। यह व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इसे करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह धन-धान्य, कीर्ति, और सुख में भी अभिवृद्धि करता है।
Table of contents
अचला एकादशी व्रत का महत्व
- पापों से मुक्ति: इस एकादशी के व्रत से ब्रह्महत्या, निंदा, परनिंदा, और भूत योनि जैसे पापों से छुटकारा मिलता है।
- पुण्य और कीर्ति: व्रतधारक को कीर्ति, यश, और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक शुद्धि: यह व्रत आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ आत्मा की शुद्धि में सहायक है।
अचला एकादशी व्रत विधि
व्रत से एक दिन पहले (दशमी)
- सात्विक भोजन ग्रहण करें और मन को शुद्ध करें।
- व्रत के लिए संकल्प लें।
एकादशी के दिन
- प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं।
- भगवान विष्णु को पुष्प, तिल, चंदन, और फल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दिनभर उपवास रखें।
- यदि संभव हो, रात्रि जागरण करते हुए कीर्तन और भजन करें।
द्वादशी के दिन (हवन और दान)
- अगली सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
अचला एकादशी की कथा
राजा महीध्वज और प्रेत योनि का दुख
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उनका छोटा भाई, बज्रध्वज, बड़ा ही क्रूर और अधर्मी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था।
एक रात उसने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और शव को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया। राजा महीध्वज की आत्मा प्रेत रूप में बदलकर पीपल के वृक्ष से जुड़ गई और वहां से उत्पात मचाने लगी।
ऋषि धौम्य का आगमन
एक दिन, धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। अपने तपोबल से उन्होंने इस प्रेत योनि का कारण समझा। उन्होंने प्रेत को वहां से मुक्त कर परलोक विद्या का उपदेश दिया।
अचला एकादशी का व्रत और मोक्ष
ऋषि ने प्रेत को अचला एकादशी व्रत करने की सलाह दी। व्रत के प्रभाव से राजा दिव्य शरीर धारण कर स्वर्ग लोक को चला गया।
अचला एकादशी व्रत का आध्यात्मिक संदेश
- पापों का प्रायश्चित: यह व्रत हमें यह सिखाता है कि भले ही हमने जीवन में कितने भी गलत कार्य किए हों, ईश्वर की शरण में जाकर और सच्चे हृदय से व्रत का पालन कर, उन पापों का प्रायश्चित किया जा सकता है।
- धर्म और न्याय का महत्व: राजा महीध्वज की कथा यह संदेश देती है कि अधर्म और अन्याय का अंत निश्चित है।
FAQs: अचला एकादशी
1. अचला एकादशी का क्या महत्व है?
अचला एकादशी का व्रत पापों का नाश करता है और पुण्य, धन-धान्य, और कीर्ति में वृद्धि करता है।
2. व्रत के दिन क्या करना चाहिए?
भगवान विष्णु की पूजा, उपवास, और भजन-कीर्तन करना चाहिए। दिनभर सात्विक विचार रखें।
3. व्रत का पारण कैसे किया जाता है?
द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर व्रत का पारण करें।
4. क्या व्रत में अन्न का सेवन किया जा सकता है?
व्रत के दौरान अन्न का सेवन वर्जित है। फलाहार या पानी ग्रहण कर सकते हैं।
5. क्या अचला एकादशी को अपरा एकादशी भी कहते हैं?
हाँ, अचला एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निष्कर्ष
अचला एकादशी का व्रत न केवल आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता लाता है। यह व्रत हमारे जीवन में धर्म, न्याय और ईश्वर की भक्ति का महत्व बढ़ाता है।
क्या आपने कभी अचला एकादशी व्रत किया है? अपने अनुभव और सुझाव हमारे साथ साझा करें।
Discover more from PoojaMarg.Com
Subscribe to get the latest posts sent to your email.