हिंदू धर्म में विष्णु भगवान को “पालनकर्ता” के रूप में जाना जाता है। उन्हें नारायण और हरि के नाम से भी पुकारा जाता है। जब-जब अधर्म और पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु विभिन्न अवतार लेकर पापियों का नाश करते हैं। वैष्णववाद परंपरा में भगवान विष्णु सर्वोच्च माने जाते हैं।
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त्रिमूर्ति में विष्णु का स्थान
पुराणों के अनुसार, विष्णु त्रिमूर्ति के एक प्रमुख देवता हैं। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा (सृष्टि के रचयिता) और शिव (संहारक) हैं। यह मान्यता है कि भगवान विष्णु, शिव, और ब्रह्मा तीनों एक ही परम तत्व के अलग-अलग रूप हैं। विष्णु धर्म (सत्य) की रक्षा, अन्याय के विनाश, और मानवता को मार्गदर्शन देने के लिए विभिन्न अवतार लेते हैं।
भगवान विष्णु के दस अवतार
भगवान विष्णु के कितने अवतार हैं ये सवाल आपके मन में जरूर आता होगा, भगवान विष्णु ने अब तक नौ अवतार लिए हैं, और दसवें अवतार “कल्कि” के रूप में प्रकट होने का इंतजार है। नारायण के अवतार इस प्रकार है –
- मत्स्य अवतार,
- वराह अवतार,
- कच्छप अवतार,
- नृसिंह भगवान,
- वामन अवतार,
- परशुराम अवतार,
- श्री राम अवतार,
- श्री कृष्ण अवतार,
- भगवान बुद्ध
- कल्कि अवतार
उनके प्रमुख अवतारों में राम, कृष्ण, वराह, और नृसिंह अवतार शामिल हैं।
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का निवास
भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। विष्णु जी का निवास “क्षीरसागर” में है, जहां वे शेषनाग के ऊपर विराजमान रहते हैं। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न हुआ है, जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं।
नारायण भगवान के स्वरुप
भगवान विष्णु चार भुजाओं वाले देवता हैं। उनके हाथों में चार विशेष चिन्ह होते हैं:
- कमल (नीचे बाएं हाथ में)
- गदा (नीचे दाएं हाथ में)
- शंख (ऊपर बाएं हाथ में)
- सुदर्शन चक्र (ऊपर दाएं हाथ में)
‘विष्णु’ शब्द की व्युत्पत्ति
‘विष्णु’ शब्द का अर्थ व्यापकता है। यह शब्द ‘विष्’ धातु से निकला है, जिसका अर्थ है “सर्वत्र व्याप्त”। यह दर्शाता है कि भगवान विष्णु समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। आदि शंकराचार्य ने भी ‘विष्णु’ को व्यापकता और सर्वव्यापकता का प्रतीक माना है।
भगवान विष्णु के प्रतीकात्मक आयुध
पुराणों में भगवान विष्णु के आयुधों और आभूषणों को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया गया है:
- कौस्तुभ मणि: निर्गुण और निर्मल क्षेत्रज्ञ स्वरूप का प्रतीक।
- श्रीवत्स: मूल प्रकृति का प्रतीक।
- गदा: बुद्धि का प्रतीक।
- शंख: पंचमहाभूतों के उदय का कारण।
- सुदर्शन चक्र: सात्विक अहंकार का प्रतीक।
- वैजयन्ती माला: पंचमहाभूतों और पंचतन्मात्राओं का प्रतीक।
भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
भगवान विष्णु की पूजा से व्यक्ति को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। वैकुंठ एकादशी, हरि वासर, और कार्तिक मास जैसे अवसरों पर विष्णु भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
विष्णु भगवान की आरती
यंहा विष्णु भगवान की आरती लिखी हुई है, रोज विष्णु भगवान् की पूजा – आरती करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे
दुःखबिन से मन का
स्वामी दुःखबिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
भगवान विष्णु का मुख्य कार्य क्या है?
भगवान विष्णु का मुख्य कार्य सृष्टि की रक्षा करना, धर्म की स्थापना करना और अधर्म का नाश करना है।
भगवान विष्णु के प्रमुख अवतार कौन-कौन से हैं?
भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में राम, कृष्ण, वराह, नृसिंह, वामन, और परशुराम शामिल हैं।
विष्णु भगवान की पूजा से क्या लाभ होता है?
विष्णु भगवान की पूजा से व्यक्ति को सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह पूजा व्यक्ति को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
विष्णु भगवान की पत्नी कौन हैं?
विष्णु भगवान की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं।
इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। भगवान विष्णु की कृपा आप पर सदा बनी रहे। जय नारायण!
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