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आरती / मंत्र पूजा विधियाँ

देवी माँ दुर्गा की आरती, महत्व और पूजा विधि

देवी दुर्गा, जिन्हें शक्ति और नारीत्व की प्रतीक माना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं। उनकी पूजा न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाती है। दुर्गा माँ की आरती उनके भक्तों द्वारा गाए जाने वाले सबसे प्रभावशाली और भक्तिमय भजनों में से एक है। यह लेख देवी दुर्गा की आरती, उसकी विधि, महत्व और इसके पीछे के आध्यात्मिक अर्थ को समझने में मदद करेगा।


Table of contents

देवी दुर्गा की आरती का परिचय

आरती एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है, जिसमें दीपक जलाकर देवी-देवताओं की स्तुति की जाती है। देवी दुर्गा की आरती का मुख्य उद्देश्य है उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना। सबसे प्रसिद्ध दुर्गा आरती “अम्बे तू है जगदम्बे काली” है। इस आरती में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके महान कार्यों का वर्णन किया गया है।


देवी दुर्गा की आरती का महत्व

  1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: देवी दुर्गा की आरती करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और वातावरण शुद्ध होता है।
  2. साहस और शक्ति का संचार: देवी दुर्गा को साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी आरती गाने से मनोबल बढ़ता है और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है।
  3. भक्ति और आस्था में वृद्धि: आरती गाने से भक्ति की भावना प्रबल होती है और मन शांत रहता है। यह आत्मा को आध्यात्मिक रूप से संतुष्ट करता है।
  4. पारिवारिक सुख-शांति: देवी दुर्गा की आरती करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  5. आध्यात्मिक ऊर्जा: माँ दुर्गा की आरती से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

Maa Durga Aarti Lyrics Hindi

“अम्बे तू है जगदम्बे काली”

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे मन में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।


Devi Durga Ki Aarti – Video – Ambe tu hai jagdambe Kali

देवी दुर्गा की आरती करने की विधि

  1. पूजा स्थल की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें।
  2. दीपक की व्यवस्था: एक मिट्टी या पीतल का दीपक जलाएं। दीपक में घी या सरसों का तेल भरें।
  3. आरती की तैयारी: आरती की थाली में फूल, अक्षत, कपूर और अगरबत्ती रखें।
  4. आरती गाना: आरती गाते समय ध्यान रखें कि आपका ध्यान माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर पर केंद्रित हो।
  5. परिक्रमा: आरती के बाद दीपक को सभी घर के सदस्यों के बीच घुमाएं।

देवी दुर्गा की आरती के लाभ

  1. मानसिक शांति: देवी दुर्गा की आरती गाने से मानसिक तनाव दूर होता है।
  2. आत्मबल में वृद्धि: आरती करने से व्यक्ति में आत्मबल बढ़ता है।
  3. भय का नाश: माँ दुर्गा की आरती गाने से भय और असुरक्षा की भावना खत्म होती है।
  4. शुभ ऊर्जा का प्रवाह: आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती के समय की सावधानियाँ

  1. आरती हमेशा स्वच्छ कपड़े पहनकर करें।
  2. पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें।
  3. मन को शांत और स्थिर रखें।
  4. मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूर रहें।

देवी दुर्गा की आरती से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. देवी दुर्गा की आरती का सबसे शुभ समय क्या है?

देवी दुर्गा की आरती सुबह और शाम के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। नवरात्रि के दिनों में आरती का विशेष महत्व होता है।

2. क्या देवी दुर्गा की आरती केवल नवरात्रि में की जा सकती है?

नहीं, देवी दुर्गा की आरती आप किसी भी दिन कर सकते हैं। हालाँकि, नवरात्रि और शुक्रवार को विशेष रूप से देवी की आरती का महत्व अधिक होता है।

3. दुर्गा आरती में कौन-कौन से दीपक का उपयोग किया जा सकता है?

घी और सरसों के तेल के दीपक का उपयोग शुभ माना जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

4. क्या दुर्गा आरती करते समय कोई विशेष मंत्र का जप करना चाहिए?

आरती के साथ “ॐ दुर्गायै नमः” का जप करना लाभकारी होता है। यह देवी की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है।

5. क्या दुर्गा आरती बिना संगीत के भी गाई जा सकती है?

हाँ, दुर्गा आरती को बिना संगीत के भी श्रद्धा और भक्ति से गाया जा सकता है। मुख्य बात यह है कि इसे मन और आत्मा की शुद्धि के साथ गाया जाए।

6. दुर्गा माँ की आरती के बाद क्या करना चाहिए?

आरती के बाद घर के सभी सदस्यों को आरती दिखाकर प्रसाद वितरित करें। यह परिवार में एकता और शुभता लाता है।

7. क्या दुर्गा आरती अकेले की जा सकती है?

जी हाँ, यदि आप अकेले हैं, तो भी दुर्गा माँ की आरती कर सकते हैं। भक्ति और श्रद्धा से किया गया कोई भी कार्य फलदायी होता है।

निष्कर्ष

देवी दुर्गा की आरती न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार भी करती है। माँ दुर्गा की आरती नियमित रूप से करने से भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह एक ऐसा साधन है जो हमें ईश्वर के करीब लाता है और हमारे जीवन को धन, सुख और शांति से भर देता है।


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